માનવજાતને કુદરતની સૌથી કિંમતી ભેટ પાણી છે. તેના વિના પૃથ્વી પરનું જીવન અસ્તિત્વ ન હોઈ શકે, તેથી પાણીને જીવન તરીકે પણ ઓળખી શકાય છે. આપણને આપણી બધી દૈનિક પ્રવૃત્તિઓ માટે પાણીની જરૂર હોય છે.
ઉપલબ્ધ જળ સંસાધનોનો વિવેકપૂર્ણ ઉપયોગ થવો જોઈએ, જેથી ભવિષ્યમાં આપણે જળ સંકટનો સામનો ન કરવો પડે. આ માટે જરૂરી છે કે દરેક વ્યક્તિ પાણીનો ઉપયોગ મનથી કરે, પાણીનો બચાવ કરે તેમજ જળ સંચયના ઉપાયો અંગે જાગૃતિ ફેલાવે.
વધુને વધુ વરસાદી પાણીની બચત કરીને અને પાણી બચાવવા માટે વિવિધ પગલાં લઈને, આપણેભૂગર્ભ જળસ્તર જાળવવામાં અને પાણીની ઉપલબ્ધતાને સતત જાળવવામાં ફાળો આપીએ છીએ.
જો તમે પાણી બચાવવાની કોઈ પણ નવીન અને અનોખી રીતો અપનાવી હોય, જેની મદદથી આપણે વધુ પાણી બચાવી શકીએ છીએ, તો તેને નીચેના કમેન્સટી બોક્સમાં તમારા વિચારો સાથે શેર કરો.
સબમિશનની છેલ્લી તારીખ 6 ઓગસ્ટ, 2022 છે.
BrahmDevYadav 3 years 4 monthsપહેલા
3.अगर बाल्टी में पानी लेकर मग से नहाया जाये तो 20 से 30 लीटर पानी से आराम से नहाया जा सकता है। लेकिन फव्वारें, नल चालू करके या टब में नहाने पर 50 से 100 लीटर पानी चाहिए। इस तरह एक व्यक्ति प्रतिदिन 30 से 70 लीटर पानी बचा सकता है।
4.एक आदमी मग में पानी लेकर हाथ धोता है तो केवल दो लीटर पानी ही खर्च होगा जबकि नल खुला रखकर हाथ धोने से एक बार में 10 लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है। इस तरह हम 8 लीटर पानी बचा सकते है।
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जल संरक्षण के उपाय क्या-क्या हो सकते हैं?
पृथ्वी पर मंडराते पेयजल संकट से आसानी से बचने के लिए जरूरी है जल संरक्षण इसके लिए कुछ बातों को ध्यान में रखना होगा ।
1.पानी पीते समय गिलास को जूठा नहीं करना चाहिए। एक व्यक्ति के दिनभर के जूठे गिलास को धोने में 20 लीटर पानी प्रतिदिन खर्च हो जाता है, जिसे बचाया जा सकता है।
2.सुबह मग में पानी लेकर आधा लीटर पानी से मंजन किया जा सकता है। वहीं नल खुला रखकर मंजन करने पर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 10 लीटर पानी व्यर्थ बह जाता है।
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6. आज दुनिया एक आधुनिक टेक्नोलॉजी से जुड़ी दुनिया बन चुकी है। ऐसे में लोगों के बढ़ती जनसंख्या के कारण आज
विश्व के हर एक क्षेत्र मे बड़ी बड़ी इमारतों का निर्माण हो रहा है। यह बात तो साधारण है कि इन इमारतों के निर्माण
के लिए सबसे ज्यादा पानी का उपयोग हो रहा है। ऐसे में वर्षा जल संचयन के माध्यम से बचाए हुए पानी को इन
इमारतों के निर्माण मैं लगा कर कई प्रतिशत स्वच्छ पानी को बचा सकते हैं।
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5. वर्षा जल संचयन या रेन वाटर हारवेस्टिंग से ज्यादा से ज्यादा पानी को अलग-अलग जगहों में इकट्ठा किया जाता है जैसे
बांधों में, कुओं में और तालाबों में। अलग-अलग जगहों में पानी का संचयन करने के कारण जमीन पर बहने वाले जल
की मात्रा में कमी आती है जिससे बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदा को रोकने में मदद मिलती है। बाढ़ होने पर कई प्रकार
से उस क्षेत्र को आर्थिक रूप से क्षति पहुंचती है इसलिए इस चीज को रोक पाना लोगों के लिए एक अच्छी सुविधा और
लोगों की आर्थिक मजबूती को बनाए रखना है।
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4. वर्षा जल संचयन के द्वारा ज्यादा से ज्यादा पानी एकत्र किया जा सकता है जिससे मुफ्त में गर्मी के महीनों में कृषि से
किसान पैसे कमा सकतेहैं तथा पानी पर होने वाले खर्च को भी बचा सकते हैं। इसकी मदद से साथ ही ज्यादा बोरवेल
वाले क्षेत्रों में बोरवेल के पानी को सूखने से भी रोका जा सकता है। ऐसा तभी संभव हो सकता है जब वर्षा ऋतु में
ज्यादा से ज्यादा वर्षा के पानी का उपयोग कृषि के लिए लगाया जाए और गर्मी के महीने में वर्षा ऋतु में बचाए हुए जल
का इस्तेमाल किया जाए।
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3. कुछ ऐसे शहर और गांव होते हैं जहां पानी की बहुत ज्यादा कमी होती है और गर्मी के महीने में पानी की बहुत किल्लत
होती है ऐसे में उन क्षेत्रों में पानी को भी लोग बेचा करते हैं। ऐसी जगह में वर्षा के महीने में जल संचयन करना गर्मी के
महीने में पानी की कमी को कुछ प्रतिशत तक कम कर सकता है।
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वर्षा जल संचयन के फायदे:-
1. घरेलू काम के लिए ज्यादा से ज्यादा पानी बचा सकते हैं और इस पानी को कपड़े साफ करने के लिए खाना पकाने के
लिए, तथा घर साफ करने के लिए, नहाने के लिए इस्तेमाल में लाया जा सकता है।
2. बड़े-बड़े कल कारखाना में स्वच्छ पानी के इस्तमाल में लाकर बर्बाद कर दिया जाता है ऐसे में वर्षा जल को संचय करके
इस्तमाल मैं लाना जल को सुरक्षित करने का एक बेहतरीन उपाय है। ज्यादा से ज्यादा पानी की बचत और जल संचयन
करने के लिए ऊपर दिए हुए तरीकों का उपयोग कंपनियां कर सकती हैं।
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5. जल संग्रह जलाशय:-
यह साधारण प्रक्रिया है जिसमें बारिश के पानी को तालाबों और छोटे पानी के स्रोतों में जमा किया जाता है। इस तरीके में
जमा किए हुए जल को ज्यादातर कृषि के कार्यों में लगाया जाता है क्योंकि यह जल दूषित होता है।
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4.भूमिगत टैंक: यह भी एक बेहतरीन तरीका है जिसके माध्यम से हम भूमि के अंदर पानी को संरक्षित रख सकते हैं। इस प्रक्रिया में वर्षा जल को एक भूमिगत गड्ढे में भेज दिया जाता है जिससे भूमिगत जल की मात्रा बढ़ जाती है। साधारण रूप से भूमि के ऊपर ही भाग पर बहने वाला जल सूर्य के ताप से भाप बन जाता है और हम उसे उपयोग में भी नहीं ला पाते है परंतु इस तरीके में हम ज्यादा से ज्यादा पानी को मिट्टी के अंदर बचा कर रख पाते हैं। यह तरीका बहुत ही मददगार साबित हुआ है क्योंकि मिट्टी के अंदर का पानी आसानी से नहीं सूखता है।
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3. बांध:-
बड़े बड़े बांध के माध्यम से वर्षा के पानी को बहुत ही बड़े पैमाने में रोका जाता है जिन्हें गर्मी के महीनों में या पानी की
कमी होने पर कृषि, बिजली उत्पादन और नालियों के माध्यम से घरेलू उपयोग में भी इस्तेमाल में लाया जाता है। जल
संरक्षण के मामले में बांध बहुत उपयोगी साबित हुए हैं इसलिए भारत में कई बांधों का निर्माण किया गया है और साथ
ही नए बांध बनाए भी जा रहे हैं।